नारायण ऋषि का अर्थ
[ naaraayen risi ]
नारायण ऋषि उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- एक पौराणिक ऋषि जिन्होंने ऋग्वेद के पुरुष सूक्त की रचना की:"एक कथा के अनुसार नारायण ने अपने ऊरु से उर्वशी को उत्पन्न किया था"
पर्याय: नारायण
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- भगवान श्री कृष्ण को नारायण ऋषि का अवतार कहा गया है ।
- इस पुरुष सूक्त के नारायण ऋषि , अनुष्टुप छंद और अंतिम मन्त्र का
- जबकि ऋग्वेद के पुरुष सूक्त के रचयिता नारायण ऋषि के आदेश इसके ठीक उलट है।
- हिमालय के केदार श्रृंग पर विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे।
- सप्तशती के इन तीनों रहस्यों के नारायण ऋषि , अनुष्टुप् छन्द तथा महाकाली , महालक्ष्मी एवं महासरस्वती देवता हैं।
- नर और नारायण ऋषि ने ही क्रमशः अर्जुन और श्री कृष्ण के रूप में इस धरा पर अवतार लिया था।
- नारायण ऋषि कहते हैं-जो पृथ्वी , जल तथा आकाश में पक्षियों के समान वेगपूर्वक चल सके , उसका नाम विमान है।
- अष् नारायण ऋषि कहते हैं जो पृथ्वी , जल तथा आकाश में पक्षियों के समान वेग पूर्वक चल सके, उसका नाम विमान है ।
- नामान्तरैर्निरूप्यैषा नामन नान्येन केनचित्॥\॥31॥ अर्थ : - \ सप्तशती के इन तीनों रहस्यों के नारायण ऋषि, अनुष्टुप् छन्द तथा महाकाली, महालक्ष्मी एवं महासरस्वती देवता हैं।
- इसी भावना के मातहत समाज पर अपने प्रभ्ुात्व को , ईश्वरादेश बनाने की कामना से, नारायण ऋषि के हृदय में ÷पुरुष सूक्त' का प्रकाश हुआ।